Sunday, January 6, 2008

भाजपा का दोहरापन ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी


गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव में विजय व रामसेतु की रक्षार्थ दिल्ली में विश्व हिन्दू परिषद की सफल रैली से उत्साहित भाजपा ने अब रामसेतु के मुद्दे पर अपना आंदोलन तेज करने का निर्णय किया है। केन्द्र सरकार को भी चेतावनी दी है कि यदि उसने रामसेतु का विनाश नहीं रोका तो पूरे देश में आक्रामक तेवर के साथ आंदोलन चलाया जाएगा। इसमें गलत कुछ भी नहीं है। 12 अगस्त 2007 के अपने इसी काॅलम में हम रामसेतु के विनाश को रोकने का पुरजोर समर्थन कर चुके हैं। अगर भाजपा रामसेतु की रक्षा के लिए आव्हान करेगी तो सभी धर्म पे्रमी और भारतीय संस्कृति के प्रशंसक इस आंदोलन में भाजपा का साथ देंगे। पर दुख की बात है कि भाजपा को इस आंदोलन को चलाने का कोई नैतिक आधार नहीं है। क्योंकि भाजपा संघ और विहिप के सभी बड़े नेता गत 4 वर्षों से ब्रज चैरासी कोस में स्थित भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े पर्वतों के वीभत्स विनाश के मूक द्रष्टा बने हुए हैं। तकलीफ इस बात की है कि यह विनाश श्रीमती सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाली यूपीए सरकार नहीं करवा रही बल्कि दिल्ली की रैली में रामसेतु की रक्षार्थ गर्जन करने वाले श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली भाजपा की सरकार करवा रही है।
ब्रज चैरासी कोस में राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग व कांमा तहसील भी आती है। यहां 72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पर्वतमालाएं हैं जिनका उल्लेख अनेक हिन्दू शास्त्रों में आता है। इन पर्वतों पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोचारण किया, वंशीवादन किया व रास रचाया। इन पर्वतों पर भगवान श्रीकृष्ण के अनेक पदचिन्ह अंकित हैं। इन पर अनेक लीला स्थलियां भी मौजूद हैं। कामा को तो काम्यवन या आदि वृन्दावन भी कहा जाता है। दुख की बात है कि श्रीमती वसुन्धरा राजे की सरकार के कार्यकाल में इन दिव्य पर्वतों का खनन 28 फीसदी बढ़ चुका है। यह बात नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी के अध्ययन का आई.आई.टी. रुड़की से विश्लेषण कराने के बाद सामने आई। ब्रज रक्षक दल की पहल पर यह अध्ययन इस लिए कराया गया कि भाजपा नेतृत्व को यह बताया जा सके कि राजस्थान के खानमंत्री श्री लक्ष्मीनारायण दवे अपने नेताओं को कैसे लगातार झूठे आंकड़े देकर गुमराह कर रहे थे। ब्रज रक्षक दल के पर्चों और समय-समय पर जारी अनेक फिल्मों के माध्यम से इस पूरे घोटाले को पूरे देश और दुनिया के सामने लाया गया। ब्रज रक्षक दल के अध्यक्ष व पदाधिकारियों ने भाजपा व विहिप के सभी वरिष्ठ नेताओं से बार-बार मिल कर ब्रज के दिव्य पर्वतों की रक्षा की गुहार लगाई। संविधान क्लब नई दिल्ली में सम्मेलन किए। अनेकों सांसदों से बार-बार मिलकर इस मामले को संसद में उठवाने का प्रयास किया। बाद में राजद के अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद यादव ने पहल की और उनका ही दल तबसे इस मामले को लगातार उठा रहा है। देश-विदेश का मीडिया भी गत 4 वर्षों से लगातार इस मामले को उठाता रहा है। राजस्थान विधान सभा में भी यह मामला उठ चुका है। दुनिया भर के विभिन्न धर्मों के मानने वाले हजारों लोग सन् 2004 से ई.मेल भेजकर ब्रज की इन धरोहरो की रक्षा की मांग कर रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है जिस पर अभी फैसला होना बाकी है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मौके पर जांच करने के बाद नवम्बर 2005 में ही जारी अपनी रिपोर्ट में डींग व कामा में चल रहे खनन को अवैध बताया और इसे फौरन रोकने के आदेश दिए। पर न तो भाजपा की राजस्थान सरकार ने इसकी परवाह की और न ही भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिन्हें यह रिपोर्ट तभी दे दी गई थी। जुलाई 2005 में न्यूजर्सी (अमरीका) के हिन्दू सम्मेलन में ब्रज रक्षक दल के अध्यक्ष ने जब इस मामले पर पावर प्वाइंट प्रस्तुति की तो उसे देखने वालों में सरसंघ चालक श्री के.एस. सुदर्शन व संघ के वरिष्ठ नेता श्री राम माधव भी वहां मौजूद थे। इन   4 वर्षों में श्रीमान मन्दिर बरसाना के विरक्त संत श्री रमेश बाबा की पे्ररणा से साधुओं ने इस पूरे इलाके में जनजागरण का अभूतपूर्व कार्य किया। उत्तरांचल के चिपको आंदोलन की तरह यहां भी आम जनता बढ़चढ़ कर इस आंदोलन का साथ दे रही है।
मई 2006 में 40 दिन तक साधुओं और ब्रजवासियों ने दिल्ली के जन्तर-मंतर पर धरना दिया। बाद में ये सब लोग भाजपा मुख्यालय पर धरना देने पहुंच गये जहां उन्हें भाजपा के राजस्थान अध्यक्ष श्री महेश शर्मा ने आश्वासन देकर धरना बन्द करा दिया। जब कुछ नहीं हुआ तो देश के 39 प्रमुख संतों ने राजस्थान की भाजपा सरकार को अगस्त 2006 में खुली चेतावनी देते हुए एक हस्ताक्षर ज्ञापन भेजा जिसके उससे ब्रज के दिव्य पर्वतों का विनाश रोकने की मांग की। पर न तो भाजपा की राजस्थान सरकार के कान पर जूं रेंगी और न ही भाजपा संघ और विहिप के राष्ट्रीय नेतृत्व ने ही कोई परवाह की। इसके बाद नवम्बर 2006 से संत और ब्रजवासी कामा में आमरण अनशन पर बैठ गए। हालात काबू से बाहर होने लगे तो श्रीमती सिंधिया के अनुरोध पर श्री बी.पी. सिंघल ब्रज रक्षक दल के पदाधिकारियों के साथ अनशन स्थल पर गए। पर विडम्बना ये कि वहां भरतपुर के भाजपा अध्यक्ष ने खुद खड़े होकर इनकी कार पर घातक हमला करवाया। कार तोड़ दी। सवारो को खींच कर मारने की कोशिश की और 32 किलोमीटर तक उनका बन्दूकों से पीछा किया। इस मामले में दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट पर कोई उल्लेखनीय कार्रवाई आजतक नहीं हुई। आश्चर्य है कि अपने ही दल के पूर्व सांसद व विहिप अध्यक्ष के अनुज पर कातिलाना हमला करने वालों को राजस्थान की सरकार संरक्षण दे रही है। इसीलिए श्री सिंघल राजस्थान की भाजपा सरकार को दानवी सरकारकहते हैं।
यह सारा विवरण इसलिए यहां उल्लेख करना जरूरी है ताकि आम जनता यह जान जाए कि भाजपा की नियत में ही खोट है। गत 4 वर्षों से रातदिन भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थलियों का डायनामाइट से विनाश करने वाली भाजपा रामसेतु के सम्भावित विनाश के लिए यूपीए सरकार को चुनौती कैसे दे सकती है ? उसका नैतिक आधार ही इतना खोखला है कि कोई उस पर यकीन नहीं करेगा। भाजपा रामसेतु पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने की चेतावनी दे रही है। देश भर में होर्डिंग, पर्चे व पोस्टर लगवा रही है। जनसम्पर्क किए जा रहे हैं। अगर यह सब इसलिए हो रहा है कि भाजपा को वाकई हिंदू धर्म की धरोहरों की रक्षा की चिन्ता है तो वह भगवान श्रीकृष्ण की धरोहरों को क्यों तुड़वा रही है ? क्या यह माना जाए कि रामसेतु की रक्षा भाजपा के लिए एक चुनावी मुद्दा है जिसे पकड़ कर वह सत्ता पर काबिज होना चाहती है जैसा पहले राममन्दिर का मुद्दा उठा कर उसने किया था। अगर राममन्दिर आंदोलन के दौरान विशाल रैलियों में भाजपा नेताओं के बयानों की रिकार्डिंग देखी जाए और उसे राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान इन्हीं नेताओं के राममन्दिर के विषय में आए विरोधी बयानो को देखा जाए तो यह शंका होगी कि राममन्दिर को भाजपा ने केवल चुनावी मुद्दा बनाया या वह इस मामले में गंभीर भी है ? तो क्या रामसेतु का मुद्दा भी इसी तरह भाजपा की चुनावी राजनीति का मुद्दा बनकर शहीद हो जाएगा ? अगर यह सही है तो देश की करोड़ों जनता को यह फैसला करना होगा कि वे रामसेतु की रक्षा के आंदोलन में तभी शामिल हों जब राजस्थान की भाजपा सरकार ब्रज में पर्वतों का खनन और क्राशिंग पूरी तरह बंद कर दें और इससे स्थापित होने वाले व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों आदि को ब्रज चैरासी कोस की परिधि से दूर हटाकर नए पट्टे जारी कर दे। उन्हें कर व अन्य रियायतें देकर वहां स्थापित होने में मदद करें। देर से ही सही व चुनावी राजनीति की मजबूरी के कारण ही लिया जाए तो भी उसका यही कदम उसे बचाएगा। इससे ब्रज का वैभव बचेगा। ब्रज में पर्यटन और रोजगार बढ़ेगा। संत, भक्त व ब्रजवासी प्रसन्न होंगे। भाजपा के पास रामसेतु की रक्षार्थ आंदोलन चलाने का एक नैतिक आधार बनेगा। अगर भाजपा ऐसा नहीं करती है तो यही मानना चाहिए कि उसका धर्म से कोई लेना देना नहीं। वह तो धर्म को सत्ता हथियाने का एक औजार मानती है। भाजपा की यह छवि उसके व उसके समर्थकों दोनों के लिए ही दुखदायी होगी।

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