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Monday, February 19, 2018

नीरव मोदी, गुप्ता बंधु और नरेश गोयल में क्या समान है ?


नीरव मोदी का घोटाला 20 हजार करोड़ तक पहुंचने का अनुमान ।

पंजाब नेशनल बैंक ही नहीं, अभी और भी कई बैंक इसकी चपेट में आने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते के 3 बड़े घोटालों के बीच एक व्यक्ति का नाम हर जगह उभर कर आ रहा है और वो है जैट ऐयरवेज़ के मालिक नरेश गोयल का। जैट ऐयरवेज़ की हवाई उड़ानों पर नीरव मोदी के विज्ञापन अभी तक प्रसारित हो रहे हैं। इन दोनों कंपनियों के बीच आर्थिक लेनदेन का जो कारोबार चल रहा है, क्या वह विशुद्ध व्यवसायिक शर्तों पर है या वहां भी मोटी रकम को इधर से उधर ठिकाने लगाने का धंधा चल रहा है? इसकी जांच होनी चाहिए। तस्करी और हवाला के कामों में इस तरह की कंपनियों का घालमेल होना समान्य सी बात होती है। अभी पिछले ही दिनों प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारीयों ने लखनऊ हवाई अड्डे पर जेट ऐयरवेज़ के अधिकारियो को गिरफ्तार किया जो खाड़ी से आने वाली जेट ऐयरवेज़ की उड़ानों में सोने और हीरे की तस्करी करवा रहे थे |

उधर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ज़ूमा को भारी भ्रष्टाचारों के आरोपों के बाद अपने पद से हटना पड़ा। संभावना ये है कि उन्हें जल्दी ही जेल भी हो सकती है। उन पर सहारनपुर के गुप्ता बंधुओं के साथ दक्षिणी अफ्रीका में हजारों करोड़ के घोटाले करने का आरोप है। उल्लेखनीय है कि गुप्ता बंधुओं के परिवार की शादी के लिए ही जैट ऐयरवेज़ का हवाई जहाज दिल्ली से उड़कर, अवैध रूप से दक्षिणी अफ्रीका के रक्षा क्षेत्र के प्रतिबंधित हवाई अड्डे पर उतरा था। जिस हवाई जहाज में तमाम ताकतवर लोगों के अलावा उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव और आजम खान भी मेहमान बनकर गये थे। उस हवाई अड्डे पर कस्टम विभाग के अधिकारियों की तैनाती नहीं होती। जिसका लाभ उठाकर भारी मात्रा में अवैध सूटकेस हवाई जहाज से उतारकर मिनटों में गायब कर दिये गये थे। चूंकि दक्षिणी अफ्रीका के राष्ट्रपति ज़ूमा के इन गुप्ता बंधुओं से व्यापारिक नाते हैं, इसलिए यह सब बड़ी आसानी से हो गया। पर फौरन ही इस पर वहां मीडिया में तूफान मच गया। हमने जब इसी कॉलम में इस मामले को उठाया और नागरिक उड्डयन मंत्री महेश शर्मा से उसकी लिखित शिकायत की, तो उन्होंने इसे अपने से पहली सरकार के समय हुई घटना बताकर टाल दिया और कोई जांच नहीं करवाई। हमारे बार-बार पीछे पड़ने पर भारत सरकार का कहना था कि इससे हमारे दक्षिण अफ्रीका से संबंधों पर विपरीत असर पड़ेगा। इसलिए जांच नहीं की जा सकती।

अब जबकि पूर्व राष्ट्रपति ज़ूमा और गुप्ता बंधु दोनों दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार के मामलों में जांच के घेरे में आ चुके हैं, तो भारत सरकार को भी इस मामले  प्रभावी जांच तेज़ी से करवानी चाहिए। अपने स्तर पर मैं दक्षिण अफ्रीका के नये राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री जी को इस आशय का पत्र लिख रहा हूं।

उल्लेखनीय है कि ज़ूमा के गद्दी छोड़ने से पहले ही गुप्ता बंधु अफ्रीका से भाग निकले और दुबई में जाकर शरण ले ली है। जहां बसने के लिए उन्हें अपनी अकूत कमाई में से मोटी रकम देनी पड़ी है, ऐसा सूत्रों से पता चला है। उनके इस पूरे ऑपरेशन में मुख्य सूत्रधार की भूमिका जैट ऐयरवेज़ के मालिक नरेश गोयल ने  निभाई है। जो स्वयं दुबई में बसे हुए हैं।

भारत सरकार के लिए यह चिंता की बात होनी चाहिए कि जैट ऐयरवेज़ के तमाम घोटाले और देशद्रोह के आचरण के बावजूद उसकी जांच को सभी  ऐजेंसियां व सीबीआई दबाकर बैठे हैं। अब तो अपने घोटालों के अलावा जैट ऐयरवेज़ के मालिक  का नीरव मोदी और दक्षिण अफ्रीका के गुप्ता बंधुओं से गाढ़ा नाता सामने आ रहा है।

पिछले हफ्ते इसी कॉलम में हमने जैट ऐयरवेज़ के घोटालों की एक बानगी फिर से पेश की थी और बताया था कि हमने प्रधानमंत्री जी से देशद्रोह के इस कांड की ईमानदार जांच कराने की लिखकर अपील की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रधानमंत्री जी अपने अधीन नागरिक उड्डयन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय व गृह मंत्रालय की नीरव मोदी या नरेश गोयल जैसे बड़े घोटालेबाजों से साझ-गांठ की पारदर्शी जांच कराने में अब बिल्कुल देर नहीं करेंगे।

क्योंकि अगर इतने बडे़ कांडों में अब भी सही जांच नहीं की गई, तो भविष्य में जैट ऐयरवेज़ जैसी कंपनियां भारत की अर्थव्यवस्था को और भी बड़ा झटका दे सकती है। फिर कहीं ये न कहना पड़े, ‘‘अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत’’।

वैसे सीबीआई के मौजूदा निदेशक से तो इस मामले में कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। क्योंकि वे जब से इस पद पर आए हैं, तब से उन्हें जैट ऐयरवेज़ और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की मिलीभगत और भ्रष्टाचार की पूरी रिर्पोट मय सबूत दी जा चुकी है। पर फिर भी उन्होंने इस पर आजतक कोई कार्यवाही नहीं की। अलबत्ता सीबीआई के आला अफसरों को व्यक्तिगत स्तर पर हमारे 'कालचक्र समाचार ब्यूरो' ने जब ये दस्तावेज दिखाये, तो वे यह देखकर हैरान रह गये कि इतना ठोस मामला होने के बावजूद भी अभी जांच क्यों नहीं हुई।

नीरव मोदी के मामले में भी यही बात सामने आ रही है कि तीन बरस से उसके घोटालों की जानकारी, सभी संबंधित जांच ऐजेंसियों को कुछ लोगों द्वारा मय सबूत के दी जा रही थी। पर किसी ने न तो जांच की, न नीरव मोदी की पकड़-धकड़ की और न ही घोटाले को आगे होने से रोका।
प्रधानमंत्री के लिए ये बहुत चिंता की बात होनी चाहिए कि उनकी नाक के नीचे इतने बड़े घोटाले हो रहे हैं, आम जनता के खून-पसीने का हजारों करोड़ रूपया हजम कर मुट्ठीभर लोग दुनियाभर में अययाशी कर रहे हैं और फिर भी कानून की गिरफ्त से बाहर हैं।

Monday, February 12, 2018

नागरिक उड्यन मंत्रालय जैट एयरवेज की जेब में

इसी कॉलम में हम 2015 में लिख चुके हैं कि ‘जैट एयरवेज’ किस तरह से भारत सरकार को अपनी अंगुलियों पर नचाकर यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ और देश से गद्दारी कर रहा है। हमारी तमाम शिकायतें प्रमाणों के साथ सीबीआई के दफ्तरों में 2015 से धूल खा रही है। भारत सरकार का गृह मंत्रालय तक जैट ऐयरवेज के अपराधों पर पर्दा डाले हुए था। जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय को आदेश दिये, तब बड़ी मुश्किल से उसने ये बताया कि जैट एयरवेज का विदेशी मूल का सीओओ/सीईओ  कैप्टन हामिद अली बिना सरकार की सुरक्षा, अनापत्ति हासिल किये ही 7 वर्ष तक इस एयरलाइस को चलाता रहा। हमारे बार-बार आरटीआई सवाल पूछने पर, भारत सरकार का गृह मंत्रालय यह झूठ बोलता रहा कि, ‘इस प्रश्न का उत्तर देना सुरक्षा की दृष्टि से संभव नहीं है’। अदालत की फटकार पड़ने के बाद ही उसे होश आया।

इसी तरह भारत सरकार का ‘नागरिक उड्यन मंत्रालय’ भी जैट एयरवेज के अपराधों को छिपाने में लगा रहा है। जब हमारे ‘कालचक्र समाचार ब्यूरो’ ने पर्दा फाश किया, तो जैट एयरवेज को अपने 131 पाइलट ग्राउंड करने पड़े। क्योंकि वे बिना कुशलता की परीक्षा पास किये हवाई जहाज उड़ा रहे थे और यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे थे। क्योंकि जैट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल ने बड़ी होशियारी से अपने ही कर्मचारियों को ‘डीजीसीए’ में तैनात करवा रखा था, जो देश के सभी एयरलाईंस के पाईलटों को नियंत्रित करता है। ‘सैंया भये कोतवाल, तो डर काहे का’। नतीजतन जैट एयरवेज के नाकारा पाईलट हवाई यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ करते आ रहे हैं। हाल ही में उसके दो पाईलट आसमान में जहाज को अकेला छोड़ लड़ते-झगड़ते कॉकपिट से बाहर आ गये।
तुर्की हवाई सीमा में उसका हवाई जहाज अचानक 5000 फुट नीचे आ गया, क्योंकि कॉकपिट में एक पाईलट सो रहा था और दूसरी पायलट आई पैड पर गेम खेल रही थी । बहुत बड़ी हवाई दुर्घटना होने से बच गयी। जर्मनी में भी जैट एयरवेज के कॉकपिट में पाईलटों के सो जाने से हड़कंप मच गया था। पाईलट के खराब प्रशिक्षण के कारण गोवा में जैट एयरवेज का जहाज रन वे से  फिसलकर कीचड़ में चला गया। लंदन में उसका जहाज हवाई अड्डे की दीवार से टकराते-टकराते बचा। एम्सटर्डम में उसका जहाज रन वे पर गलत गति से दौड़ने के कारण अपनी पूंछ टकराकर तोड़ बैठा। इसी तरह लंदन के रन वे पर दौड़ते हुए, वह गलत दिशा में मुड़ गया, जहां कई जहाजों से टक्कर होते-होते बची। हाँगकाँग में उसके पाईलट ने इतनी खतरनाक लैडिंग की कि लगा कि जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो जायेगा। सभी यात्रियों की चीखें निकल गईं।

हाल ही में जैट एयरवेज़ की एक विमान परिचारिका हाल ही में दिल्ली हवाई अड्डे पर 3.5 करोड़ की अवैध विदेशी मुद्रा के साथ पकड़ी गयी। हम पहले ही सीबीआई को तमाम दस्तावेज दे चुके हैं। जिनसे यह सिद्ध होता है कि जैट ऐेयरवेज का मालिक नरेश गोयल हजारों करोड़ रूपये की हेराफेरी कर रहा है।

जैट एयरवेज के पाईलटों की इन कमजोरियों और गलतियों की ओर गत 4 वर्षों से हम नागरिक उड्यन मंत्रालय के सचिव और डीजीसीए के महानिदेशक को लिख-लिखकर शिकायत भेजते रहे हैं। पर शायद हमारी कलम से ज्यादा ताकत नरेश गोयल की मोटी रिश्वत में हैं, जो मंत्रालयों में करोड़ों रूपया बांटकर अपने सभी गुनाहों पर पर्दा डाल लेता है।

नरेश गोयल के दर्जनों गुनाहों पर जो शिकायते हमने सीबीआई को 2015 में दी, उनमें अपने हर आरोप के समर्थन में दर्जनों प्रमाण और दस्तावेज भी दिये। पर लगता है कि ‘जैन हवाला कांड’ की तरह इस मामले में भी सीबीआई के अब तक के निदेशक रहे लोग नरेश गोयल के पैसे के प्रभाव में हैं, इसीलिए कोई जांच आगे नहीं बढ़ी। मजबूरन पिछले हफ्ते मुझे प्रधानमंत्री जी को सीधे लिखित शिकायत करनी पड़ी। जिस पर मैंने उनसे कहा कि ‘आप तो देशवासियों से अपील कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार से लड़े, पर आपके अधीनस्थ नागरिक उड्यन मंत्रालय के अब तक के सभी मंत्री और सचिव व गृह मंत्रालय के अधिकारी नरेश गोयल के घोटालों को छिपाने में जुटे हैं’। मैंने प्रधानमंत्री जी से अपील की कि हवाई यात्रियों और देश की सुरक्षा के हित में उन्हें इस मामले में कड़ाई से जांच करवानी चाहिए। हम इस जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं। उम्मीद है कि फिलिस्तीन के दौरे से लौटकर प्रधानमंत्री जी इस मामले पर प्राथमिकता से ध्यान देंगे और सीबीआई के निदेशक को तलब करेंगे कि वो आज तक इसे दबाये क्यों बैठे हैं ?

ये बड़ी तकलीफ की बात है कि इतनी बार अदालत की फटकार खाने के बाद, सीबीआई की कार्य प्रणाली में कोई अंतर नहीं आया है। उसकी कब्रगाह में आज भी दर्जनों बड़े घोटाले दफन हो चुके हैं, जिनकी जांच करने की सीबीआई की कोई मंशा नजर नहीं आती। यह चिंता और दुख की बात है। प्रधानमंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए। हवाला कांड में भी सीबीआई में तभी हड़कंप हुई थी, जब मैंने 1993 में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खट-खटाया था। देखते हैं इस बार क्या होता है?

Monday, October 19, 2015

जेट एयरवेज़ कर रहा है यात्रियों से धोखा और मुल्क से गद्दारी

    पिछले वर्ष सारे देश के मीडिया में खबर छपी और दिखाई गई कि जेट एयरवेज़ को अपने 131 पायलेट घर बैठाने पड़े। क्योंकि ये पायलेट ‘प्रोफिशियेसी टेस्ट’ पास किए बिना हवाई जहाज उड़ा रहे थे। इस तरह जेट के मालिक नरेश गोयल देश-विदेश के करोड़ों यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे थे। हमारे कालचक्र समाचार ब्यूरो ;नई दिल्लीद्ध ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया, जिसका उल्लेख कई टीवी चैनलों ने किया। यह तो केवल एक ट्रेलर मात्र है। जेट एयरवेज़ पहले दिन से यात्रियों के साथ धोखाधड़ी और देश के साथ गद्दारी कर रही है। जिसके दर्जनों प्रमाण लिखित शिकायत करके इस लेख के लेखक पत्रकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआई में दाखिल कर दिए हैं और उन पर उच्च स्तरीय पड़ताल जारी है। जिनका खुलासा आने वाले समय में किया जाएगा।

फिलहाल, यह जानना जरूरी है कि इतने सारे पायलेट बिना काबिलियत के कैसे जेट एयरवेज़ के हवाई जहाज उड़ाते रहे और हमारी आपकी जिंदगी के खिलवाड़ करते रहे। हवाई सेवाओं को नियंत्रित करने वाला सरकारी उपक्रम डी.जी.सी.ए. (नागर विमानन महानिदेशालय) क्या करता रहा, जो उसने इतनी बड़ी धोखाधड़ी को रोका नहीं। जाहिर है कि इस मामले में ऊपर से नीचे तक बहुत से लोगों की जेबें गर्म हुई हैं। इस घोटाले में भारत सरकार का नागर विमानन मंत्रालय भी कम दोषी नहीं है। उसके सचिव हों या मंत्री, बिना उनकी मिलीभगत के नरेश गोयल की जुर्रत नहीं थी कि देश के साथ एक के बाद एक धोखाधड़ी करता चला जाता। उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज़ में अनेक उच्च पदों पर डी.जी.सी.ए. और नागर विमानन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बेटे, बेटी और दामाद बिना योग्यता के मोटे वेतन लेकर गुलछर्रे उड़ा रहे हैं। इन विभागों के आला अधिकारियों के रिश्वत लेने का यह तो एक छोटा-सा प्रमाण है।

डी.जी.सी.ए. और जेट एयरवेज़ की मिलीभगत का एक और उदाहरण कैप्टन हामिद अली है, जो 8 साल तक जेट एयरवेज़ का सीओओ रहा। जबकि भारत सरकार के नागर विमानन अपेक्षा कानून के तहत (सी.ए.आर. सीरीज पार्ट-2 सैक्शन-3) किसी भी एयरलाइनस का अध्यक्ष या सीईओ तभी नियुक्त हो सकता है, जब उसकी सुरक्षा जांच भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा पूरी कर ली जाय और उसका अनापत्ति प्रमाण पत्र ले लिया जाय। अगर ऐसा व्यक्ति विदेशी नागरिक है, तो न सिर्फ सीईओ, बल्कि सीएफओ या सीओओ पदों पर भी नियुक्ति किए जाने से पहले ऐसे विदेशी नागरिक की सुरक्षा जांच नागर विमानन मंत्रालय को भारत सरकार के गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से भी करवानी होती है। पर देखिए, देश की सुरक्षा के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ किया गया कि कैप्टन हामिद अली को बिना सुरक्षा जांच के नरेश गोयल ने जेट एयरवेज़ का सीओओ बनाया। यह जानते हुए कि वह बहरीन का निवासी है और इस नाते उसकी सुरक्षा जांच करवाना कानून के अनुसार अति आवश्यक था। क्या डी.जी.सी.ए. और नागर विमानन मंत्रालय के महानिदेशक व सचिव और भारत के इस दौरान अब तक रहे उड्डयन मंत्री आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे थे, जो देश की सुरक्षा के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ होने दिया गया और कोई कार्यवाही जेट एयरवेज़ के खिलाफ आज तक नहीं हुई। जिसने देश के नियमों और कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाईं।

ये खुलासा तो अभी हाल ही में तब हुआ, जब 31 अगस्त, 2015 को कालचक्र समाचार ब्यूरो के ही प्रबंधकीय संपादक रजनीश कपूर की आरटीआई पर नागरिक विमानन मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया। इस आरटीआई के दाखिल होते ही नरेश गोयल के होश उड़ गए और उसने रातों-रात कैप्टन हामिद अली को सीओओ के पद से हटाकर जेट एयरवेज़ का सलाहकार नियुक्त कर लिया। पर, क्या इससे वो सारे सुबूत मिट जाएंगे, जो 8 साल में कैप्टन हामिद अली ने अवैध रूप से जेट एयरवेज़ के सीओओ रहते हुए छोड़े हैं। जब मामला विदेशी नागरिक का हो, देश के सुरक्षा कानून का हो और नागरिक विमानन मंत्रालय का हो, तो क्या इस संभावना से इंकार किया जा सकता है कि कोई देशद्रोही व्यक्ति, अन्डरवर्लड या आतंकवाद से जुड़ा व्यक्ति जान-बूझकर नियमों की धज्जियां उड़ाकर इतने महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया जाए और देश की संसद और मीडिया को कानों-कान खबर भी न लगे। देश की सुरक्षा के मामले में यह बहुत खतरनाक अपराध हुआ है। जिसकी जवाबदेही न सिर्फ नरेश गोयल की है, बल्कि नागरिक विमानन मंत्रालय के मंत्री, सचिव व डी.जी.सी.ए. के महानिदेशक की भी पूरी है।

    दरअसल, जेट एयरवेज़ के मालिक नरेश गोयल के भ्रष्टाचार का जाल इतनी दूर-दूर तक फैला हुआ है कि इस देश के अनेकों महत्वपूर्ण राजनेता और अफसर उसके शिकंजे में फंसे हैं। इसीलिए तो जेट एयरवेज़ के बड़े अधिकारी बेखौफ होकर ये कहते हैं कि कालचक्र समाचार ब्यूरो की क्या औकात, जो हमारी एयरलाइंस को कठघरे में खड़ा कर सके। नरेश गोयल के प्रभाव का एक और प्रमाण भारत सरकार का गृह मंत्रालय है, जो जेट एयरवेज़ से संबंधित महत्वपूर्ण सूचना को जान-बूझकर दबाए बैठा है। इस लेख के माध्यम से मैं केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगा कि रजनीश कपूर की आरटीआई पर गृह मंत्रालय लगातार हामिद अली की सुरक्षा जांच के मामले में साफ जवाब देने से बचता रहा है और इसे ‘संवेदनशील’ मामला बताकर टालता रहा है। अब ये याचिका भारत के केंद्रीय सूचना आयुक्त विजय शर्मा के सम्मुख है। जिस पर उन्हें जल्दी ही फैसला लेना है। पर बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी। 8 साल पहले की सुरक्षा जांच का अनापत्ति प्रमाण पत्र अब 2015 में तो तैयार किया नहीं जा सकता।

    कालचक्र समाचार ब्यूरो का अपना टीवी चैनल या अखबार भले ही न हो, लेकिन 1996 में देश के दर्जनों केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, विपक्ष के नेताओं और आला अफसरों को जैन हवाला कांड में चार्जशीट करवाने और पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने का काम भारत के इतिहास में पहली बार कालचक्र समाचार ब्यूरो ने ही किया। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीशों के अनेकों घोटाले उजागर करने की हिम्मत भी इसी ब्यूरो के संपादक, इस लेख के लेखक ने दिखाई थी। जुलाई, 2008 में स्टेट ट्रेडिंग कॉपोरेशन के अध्यक्ष अरविंद पंडालाई के सैकड़ों करोड़ के घोटाले को उजागर कर केंद्रीय सतर्कता आयोग से कार्यवाही करवा कर उसकी नौकरी भी कालचक्र समाचार ब्यूरो ने ही ली थी। ऐसे तमाम बड़े मामले हैं, जहां कालचक्र के बारे में मध्ययुगीन कवि बिहारी जी का ये दोहा चरितार्थ होता है कि कालचक्र के तीर “देखन में छोटे लगे और घाव करै गंभीर”।

अभी तो शुरूआत है, जेट एयरवेज़ के हजारों करोड़ के घोटाले और दूसरे कई संगीन अपराध कालचक्र सीबीआई के निदेशक और भारत के मुख्य सतर्कता आयुक्त को सौंप चुका है और देखना है कि सीबीआई और सीवीसी कितनी ईमानदारी और कितनी तत्परता से इस मामले की जांच करते हैं। उसके बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। 1993 में जब हमने देश के 115 सबसे ताकतवर लोगों के खिलाफ हवाला कांड का खुलासा किया था, तब न तो प्राइवेट टीवी चैनल थे, न इंटरनेट, न सैलफोन, न एसएमएस और न सोशल मीडिया। उस मुश्किल परिस्थिति में भी हमने हिम्मत नहीं हारी और 1996 में देश में इतिहास रचा। अब तो संचार क्रांति का युग है, इसीलिए लड़ाई उतनी मुश्किल नहीं। पर ये नैतिक दायित्व तो सीवीसी और सीबीआई का है कि वे देश की सुरक्षा और जनता के हित में सब आरोपों की निर्भीकता और निष्पक्षता से जांच करें। हमने तो अपना काम कर दिया है और आगे भी करते रहेंगे।