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Monday, October 3, 2016

आतंकवाद से निपटने के लिए और क्या करें



छप्पन इंच का सीना रखने वाले भारत के लोकप्रिय प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने वो कर दिखाया जिसका मुझे 23 बरस से इंतज़ार था | उन्होंने पाकिस्तान को  ही चुनौती नही दी बल्कि आतंकवाद से लड़ने की दृढ इच्छा शक्ति दिखाई है | जिसके लिए वे और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलहाकार अजीत डोभाल दोनों बधाई के पात्र हैं | यहाँ याद दिलाना चाहूँगा कि 1993 में जब मैंने कश्मीर के आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को दुबई और लन्दन से आ रही अवैध आर्थिक मदद के खिलाफ हवाला काण्ड को उजागर कर सर्वोच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर की थी, तब किसी ने इस खतरनाक और लम्बी लड़ाई में साथ नहीं दिया | तब न तो आतंकवाद इतना बढ़ा था और न ही तब इसने अपने पैर दुनिया भर में पसारे थे | तब अगर देश के हुक्मरानों, सांसदों, जांच एजेंसियों और मीडिया ने आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में साथ दिया होता तो भारत को हजारों बेगुनाह और जांबाज़ सिपाहियों और अफसरों की क़ुरबानी नहीं देनी पड़ती | आज टीवी चैनलों पर जो एंकर परसन और विशेषज्ञ उत्साह में भर कर आतंकवाद के खिलाफ लम्बे चौड़े बयान दे रहे हैं वे 1993 से 1998 के दौर में अपने लेखों और वक्तव्यों को याद करें तो पायेंगे कि उन्होंने उस वक्त अपनी ज़िम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वाह नहीं किया |

हवाला काण्ड उजागर करने के बाद से आज तक देश विदेश के सैंकड़ों मंचों पर, टीवी चैनलों पर और अखबारों में मैं इन सवालों को लगातार उठाता रहा हूँ | मुम्बई पर हुए आतंकी हमले के बाद देश के दो दर्जन बड़े उद्योगपतियों ने मुझे मुम्बई बुलाया था वे सब बुरी तरह भयभीत थे | जिस तरह आतंकवादियों ने ताज होटल से लेकर छत्रपति शिवाजी स्टेशन तक भारी नरसंहार किया उससे उनका विश्वास देश की पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था पर से हिला हुआ था | वे मुझसे जानना चाहते थे कि देश में आतंकवाद पर कैसे काबू पाया जाय| जो बात तब मैंने उनके सामने रखी वही आज एक बार फिर दोहराने की जरूरत है | अंतर इतना है कि आज देश के भीतर और देश के बाहर श्री नरेंद्र मोदी को आतंकवाद से लड़ने में एक मजबूत नेतृत्व के रूप में देखा जा रहा है | साथ ही देशवासियों और दुनिया के तमाम देशों का आतंकवाद के विरुद्ध इकतरफा साझा जनमत है | ऐसे में प्रधान मंत्री अगर कोई ठोस कदम उठाते हैं तो उसका विरोध करने वालों को देशद्रोही समझा जायेगा और जनता ऐसे लोगों को सडकों पर उतर कर सबक सिखा देगी | हम सीमा पर लड़ने और जीतने की तय्यारी में जुटे रहें और देश के भीतर आईएसआई के एजेंट आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते रहें तो यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती | देश की ख़ुफ़िया एजेंसियों को इस बात की पुख्ता जानकारी है कि देश के 350 से ज्यादा शहरों और कस्बों की सघन बस्तियों में आरडीएक्स, मादक द्रव्यों और अवैध हथियारों का जखीरा जमा हुआ है जो आतंकवादियों के लिए रसद पहुँचाने का काम करता है | प्रधान मंत्री को चाहिए कि इसके खिलाफ एक ‘आपरेशन क्लीन स्टार’ या ‘अपराधमुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत करें और पुलिस व अर्धसैनिक बलों को इस बात की खुली छूट दें जिससे वे इन बस्तियों में जाकर व्यापक तलाशी अभियान चलाएं और ऐसे सारे जखीरों को बाहर निकालें|

आतंकवाद को रसद पहुंचाने का दूसरा जरिया है हवाला कारोबार | वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के तालिबानी हमले के बाद से अमरीका ने इस तथ्य को समझा और हवाला कारोबार पर कड़ा नियन्त्रण कर लिया | नतीजतन तब से आज तक वहां आतंकवाद की कोई घटना नहीं हुई | जबकि भारत में पिछले 23 वर्षों से हम जैसे कुछ लोग लगातार हवाला कारोबार पर रोक लगाने की मांग करते आये हैं | पर ये भारत में बेरोकटोक जारी है | इस पर नियन्त्रण किये बिना आतंकवाद की श्वासनली को काटा नहीं जा सकता | तीसरा कदम संसद को उठाना है | ऐसे कानून बनाकर जिनके तहत आतंकवाद के आरोपित मुजरिमों पर विशेष अदालतों में मुकदमे चला कर 6 महीनों में सज़ा सुनाई जा सके | जिस दिन मोदी सरकार ये 3 कदम उठा लेगी उस दिन से भारत में आतंकवाद का बहुत हद तक सफाया हो जाएगा |

आज के माहौल में ऐसे कड़े कदम उठाना मोदी सरकार के लिए मुश्किल काम नहीं है | क्योंकि जनमत उसके पक्ष में है | आतंकवाद से पूरी दुनिया त्रस्त है | भारत में ही नहीं पाकिस्तान तक में आम जनता का जीवन आतंकवादियों ने खतरे में डाल दिया है | कौन जाने कब, कहाँ और कैसे आतंकवादी हमला हो जाय और बेकसूर लोगों की जानें चली जाएं | इसलिए हर समझदार नागरिक, चाहे किसी भी देश या धर्म का हो, आतंकवाद को समाप्त करना चाहता है | उसकी निगाहें अपने हुक्मरानों पर टिकी हैं | मोदी इस मामले में अपने गुणों के कारण सबसे आगे खड़े हैं | आतंकवाद से निपटने के लिए वे सीमा के पार या सीमा के भीतर जो भी करेंगे सब में जनता उनका साथ देगी |
जामवंत कहि सुन हनुमाना | का चुप साध रह्यो बलवाना ||